Friday 27 October 2017

आज के युवक-युवतिओं के लिए शादी कि सलाह

    जिनको
• तालमेल बैठाना नहीं आता हो
• झुकना नहीं जानते हो
• बर्दाश करने कि हिम्मत ना हो
• दुसरो पर विश्वास करना ना आता हो 
• सन्मान करना नहीं जानते
• दुसरो को समजना नहीं आता हो
• समझोता करना नहीं आता हो
 दुसरो के लिए अपनी आदतो को बदलना नहीं आता हो।
ऐसे लोगो को शादी का ख्याल छोड़ देना ही उनके भविष्य के लिए अच्छा है
नहीं तो आप किसी एक इंसान और उसके पुरे परिवार कि जिंदगी बर्बाद करने जा रहे है।

क्योकि शादी के बाद सुखी वैवाहिक जीवन के लिए आपको तालमेल बिठाना,झुकना,बर्दाश करना,
आदतो को बदलना,सन्मान करना,दुसरो को समझना,यह सबकुछ करना पड़ता है।

युवा पीढ़ी हमेशा याद रखे की शादी याने 
• दो अलग लोग,
• दो अलग विचारो
• दो अलग सोच
• दो अलग आदतो
• दो अलग संस्कार 
वालो का मिलन होता है और उसमे आपको कही ना कही समझोता करना ही पड़ता है
क्योकिशादी याने एक तरह का "समझोता" है।


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Tuesday 17 October 2017

धनतेरस ,दीपावली और भाईदूज की हार्दिक शुभकामनाये।

स्वर्णकार रिश्ते वैवाहिक वेबसाइट की पूरी एडमिन टीम के तरफ से
धनतेरस ,दीपावली और भाईदूज की सभी समाजबंधुओ एव परिवार को
हार्दिक बधाई एव शुभकामनाये। 

लक्ष्मीजी और गणेशजी की कृपा से आपको कामयाबी, सुख, शांति और समृद्धि प्रदान हो।
आनेवाला वर्ष आपके लिए खुशियोभरा हो,आरोग्यपूर्ण हो।


🌟 शुभ दीपावली
🌟







शुभेछुक
स्वर्णकार रिश्ते

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एडमिन टीम




Monday 16 October 2017

सभी स्वर्णकार समाजबंधू,मित्रों एव शुभचिंतको को "धनतेरस" की शुभकामनाये।

सभी स्वर्णकार समाजबंधू,मित्रों एव शुभचिंतको को
स्वर्णकार रिश्ते कि ओर से को "धनतेरस" की शुभकामनाये।

भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी की कृपा आप सभी पर सदैव बनी रहे।
आप सभी सुखी समृद्ध व खुशहाल हो।

।। शुभ दीपावली।।

 




शुभेछु
स्वर्णकार रिश्ते

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एडमिन टीम

Saturday 14 October 2017

दीवाली धमाका आफर..50% डिस्काउंट ऑफर ऑन मेम्बरशिप

स्वर्णकार रिश्ते वैवाहिक वेबसाइट लेकर आये है
दीवाली धमाका आफर ⚡

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16 से 23 अक्टूबर तक ऑफर सिमित है।

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दीपावली की सभी समाजबंधुओं और परिवार को हार्दिक शुभकामनाये।

शुभ-दीपावली



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Wednesday 4 October 2017

हमारे आदि पुरुष श्री अजमीढ़जी महाराज का इतिहास

चंद्रवंश की अठाइसवी पीढ़ी में महाराजा अजमीढ़जी का जन्म हुआ था। महाराजा अजमीढ़जी विकुंठनजी के जेष्ठ पुत्र और हस्ती के जेष्ठ पोत्र थे। जिनोने हस्तिनापुर बसाया था। द्विमीढ़ एव पुरुमीढ़ दोनों अजमीढ़जी के छोटे भाई थे।अजमीढ़जी जेष्ठ होने के कारण हस्तिनापुरराजगद्दी के उतराधिकारी हुए।अजमीढ़जी की जन्म तिथि के बारेमे किसी भी पुराण में उलेख नहीं मिलाता है तथा उनके राज्यकाल के विषय में इतिहासकारों का अनुमान है की ई.पू. 2200 से ई.पू. 2000 वर्ष में इनका राज्यकाल रहा है। महाराजा विकुंठनजी के बाद अजमीढ़जी प्रतिष्टानपुर (प्रयाग) एव हस्तिनापुर दोनों राज्यों के सम्राट हुए।
प्रारभ में चन्द्रवंशीयों की राजधानी प्रयाग प्रतिष्टानपुर में ही थी। हस्तिनापुर बसाये जाने के बाद प्रमुख राज्यगद्दी हस्तिनापुर हो गई।सुहोत्र के सुवर्णा से हस्ती हुए जिनके नाम पर पूरे प्रदेश का नाम हस्तिनापुर पड़ा। हस्ती के यशोधरा से विकुंठन हुए और विकुंठन के सुदेवा से अजमीढ़ हुए। इन तथ्यों से इस बात की जानकारी मिलाती है की अजमीढ़जी की राज्य सीमा विस्तृत क्षेत्र में फैली हुई थी। इनके छोटे भाई द्विमीढ़ से बरेली के आस पास द्विमीढ़ नमक वंश चला। पुरुमीढ़ निसंतान ही रहे।ब्रम्हांड पुराण के अनुसार अजमीढ़जी मूलतः क्षत्रिय थे। पुरानो के अनुसार अजमीढ़जी की तीन रानिया थी जिनका नाम नलिनी,केशनी एव धुमिनी था। इन तीनो रानियों से अजमीढ़जी के कई वंशोपादक पुत्र हुये। इन्होने गंगा के ऊत्तरीऔर एव दक्षिणी दिशा में अपने राज्य का विस्तार किया। अजमीढ़जी का नील नामक पुत्र ऊतर पाझाल शाखा राज्य का शासक हुआ,जिसकी राजधानी अहिज्छत्रपुर थी। महाभारत के एक अध्याय में अजमीढ़जी की चार रानियों का ऊलेख मिलता है। ये कैकयी,गान्धारी,विशाला तथा रुता थी। अजमीढ़जी की चोथी पीढ़ी पीढ़ी राजस्व नाम का राजा हुआ। इसने सिंधु नदी के भू भाग पर अपना आधिपत्य जमाया। इसके पांच पुत्र हुये। ये पाचों पञ्च पाञ्चलिक नाम से प्रसिद्ध हुए।
अजमीढ़जी एक महा प्रतापी वंशकर राजा थे। इनके वंश में होने वाले अजमीढ़जी वंशी कहलाये। महाभारत में वन पर्व में विदुर को अजमीढ़ वंशी कहा गया है। इसी पुराण में जहनु के वंश को भी अजमीढ़ वंशी कहा गया है। ब्रम्हपुराण के अनुसार अजमीढ़जी की तीनों पत्नियों से अजमीढ़जी वंश की तीन शाखाये बनी। केशिनी के पुत्र जहु से अजमीध वंश चला।
अन्य दो रानियों नीली व धुमिनी से भी दो पृथक वंश चले जो अजमीढ़ वंशु नाम से ही प्रख्यात हुये।
अजमीढ़ को धुमिनी नाम की पत्नी से ऋत नामक पुत्र हुआ। ऋत के पुत्र संवरण और संवरण के पुत्र कुरू से कोरव वंश प्रतिष्टापित हुआ।
वर्तमान मेरठ जिल्हे की मवाना तहसील के पश्चिम में गंगा और और यमुना के मध्य प्रदेश को हस्तिनापुर कहा गया है। महाराजा हस्ती के जीवन काल की प्रमुख घटना यही मानी जाती है की उनोने हस्तिनापुर का निर्माण करवाया। प्राचीन समय में हस्तिनापुर न केवल तीर्थ स्थल ही रहा है परन्तु देश का प्रमुख राजनैतिक एव सामाजिक केंद्र रहा है। कालांतर में हस्तिनापुर कौरवों की राजधानी रहा जिसके लिए प्रसिध्य कुरुक्षेत्र युद्ध हुआ। अजमीढ़ नि:संदेह पौरववंश के महान सार्व भौम सम्राट थे। यद्यपि सही प्रमाणों के आभाव पूर्ण दावा तो नहीं किया जा सकता है किन्तु कई एक साहितिक एव एतिहासिक प्रमाणों के आधार पर इस बात के संकेत मिलते है की वर्तमान अजमेर जिसका प्राचीन नाम अज्मेरू था उसके संस्थापक अजमीढ़ ही थे। अजयराज चौहान द्वारा १२वी शताब्दी में अजमेर की स्थापना किये जाने की मान्यता निरस्त करने के कई प्रमाण उपलब्ध है।
अजयराज चौहान के अतिरिक्त कोई दूसरा दावेदार इतिहास में नहीं है। अंत: बहुत संभव है की अजमीढ़ द्वारा ही ही अजमेर की स्थापना की गई थी। मैढ़ जाती को गौरवन्वित करने में अहम् भूमिका निभा सकते है।
शरद पूर्णिमा (आश्विन शुक्ला १५) के दिन अजमीढ़जी जयंती मनाने की परम्परा मैढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार समाज में वर्षो से चली आ रही है। मैढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार जाति की गरिमा को आगे बनाये रखने के लिए प्रत्येक मैढ़ क्षत्रिय का कर्त्तव्य है की उनके आदर्श का अनुसरण करे तभी हम अपने आदि पुरुष के प्रति कर्तव्य निष्ठ बने रह सकेंगे।





स्वर्णकार रिश्ते 

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सभी स्वर्णकार बंधूओ और परिवार को महाराजा अजमीढ़जी जयंती की हार्दिक बधाई और शुभकामनाये ....!!


मैढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार समाज के आदि पुरुष (प्रथम पूर्वज) "महाराजा अजमीढ़जी जयंती" के पावन अवसर पर सभी स्वर्णकार बंधूओ और परिवार को "स्वर्णकार रिश्ते" ग्रुप के तरफ से हार्दिक बधाई और शुभकामनाये।
श्री अजमीढ़जी महाराजा का मैढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार समाज हमेशा ऋणी रहेगा। 
हमारे आदिपुरुष श्री महाराजा अजमीढ़जी को श्रध्दासुमन अर्पित कर साथ-साथ मिलकर आगे बढ़ने का संकल्प करे।

हाथ बढाओ-साथ बढाओ-जय स्वर्णकार समाज

जोर से बोलो-प्रेम से बोलो- सारे बोलो
"जय अजमीढ़जी"

---> मुझे गर्व है कि मैं "स्वर्णकार" हुँ।



शुभेछु:
स्वर्णकार रिश्ते
एडमिन टीम
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